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भिलाई। श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-6 में चल रहे विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रृंखला में वृन्दावन धाम से पधारीं जगदगुरु स्वामी श्रीकृपालु जी महाराज की प्रचारिका सुश्री महेश्वरी देवी ने गम्भीर विषय ज्ञान एवं ज्ञानयोग पर प्रकाश डाला।
ज्ञान दो प्रकार का होता है – एक शब्दात्मक ज्ञान, दूसरा अनुभवात्मक ज्ञान। मायिक विषय का शब्दात्मक जैसे कोई छात्रा पाक -शास्त्र की पुस्तिका याद कर ले एवं उस विषय पर व्याख्यान भी दिया करें किन्तु रसोई कभी न बनायी हो। अनुभवात्मक ज्ञान उसे कहते है जो रसोई बनाने की प्रक्रिया जान कर रसोई भी बनाती है।
इसी प्रकार ईश्वरीय विषय का ज्ञान भी दो प्रकार का होता है। जैसे ईश्वरीय विषय का शाब्दिक ज्ञान तो प्रचुर मात्रा में हो, वेद शास्त्र कंठस्थ हों, बड़ी-बड़ी बातें बता सकता हो किन्तु स्वयं ने कुछ भी साधना न की हो। अनुभवात्मक ईश्वरीय ज्ञान में वेद शास्त्रों का ज्ञान भी हो और ईश्वर को ईश्वरीय कृपा द्वारा जाना भी हो ।
निर्गुण निराकार ब्रह्मानंद से सगुण साकार प्रेमानंद के आनंद में करोड़ो गुना ज्यादा रस वैलक्ष्णय है। श्री राधा कृष्ण की भक्तिमें कोई नियम कानून नहीं है। भक्ति किसी भी स्थान पर और किसी भी समय की जा सकती है।
वर्तमान युग के अनुरूप भगवत प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग भक्ति मार्ग ही है। विश्व का प्रत्येक जीव भगवान की भक्ति कर सकता है। लेकिन वह कैसे की जा सकती है, इस विषय पर विस्तार से सब बातें आपको मैं बताऊंगी। लेकिन आज नहीं कल।