भिलाई। सेक्टर 6 जगन्नाथ मंदिर में चल रहे विलक्षण दार्शनिक प्रवचन के छठवें दिन गुरुवार को महेश्वरी देवी ने बताया कि ,भगवत कृपा पाने के लिये कुछ शर्त है। वह है शरणागति। वेदों से कुरान तक हर धर्म, ग्रंथ में शरणागति पर बल दिया गया।मामेकं शरणम ब्रज..गीता भी कहती है।
रामायण में भी ,समनुख होहि जीव मोहि जबहि, जन्म कोटि अघ नाशहि तबहि। बुद्धम शरणम गच्छामि,संघम शरणम गच्छामि।लेकिन, इसमें कुछ बाधक तत्व है।उसको जगद्गुरु रामानुजाचार्य ने बताया। जिन्हें भाब,अनृत भाब, माया भाब। यह तीन कपुयाचरण है और चार तुष्टियां भी बताया। भगवत तुष्टि,शरनबरण तुष्टि,काल तुष्टि,भाग्य तुष्टि। इसके अतिरिक्त गीता में भक्ति के चार बाधक बताया गया। मूढ़,नराधम ,माययाअपहृतज्ञान, आसुर भाबमसृत ।यह सब हमको छोड़ना है। एतद हमको ओर चार चीज छोड़ना है। धनबल आश्रय,पदबल आश्रय ,स्वजनबलआश्रय, और स्वाबलाश्रय। सभी आश्रयो का मन से त्याग करना होगा।फिर हम शराणापन्न होंगे।