भिलाई। वैशाली नगर विधानसभा दुर्ग जिले का सबसे चर्चित सीट है। वजह यहां दावेदारों की भीड़। कांग्रेस और भाजपा में 80-80 से ज्यादा दावेदार है। दोनों दलों में प्रत्याशी चयन करने कांग्रेस संगठन के पसीने छूट रहे हैं, पर एक बात के संकेत कुछ दिनों से साफ तौर पर मिल रहा है, वैशाली नगर कांग्रेस में इस बार कुछ ऩया होने जा रहा है। नया क्या होगा इसको जानने से पहले वैशाली नगर की तासीर को समझ लें।
वैशाली नगर 2008 में नया विधानसभा बना। मतदाता संख्या वर्तमान में सवा दो लाख करीब है। इसमें से दीगर प्रदेश के मतदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत करीब है। पहली बार इस विधानसभा में दुर्ग की तत्कालीन महापौर सरोड पाण्डेय व पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह के बीच मुकाबला हुआ था। भाजपा की सरोज पाण्डेय चुनाव जीतकर पहली विधायक बनी। 2009 में उन्होंने इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ा, और उसमें भी जीत हासिल कर सांसद बनी। इधर 2010 में वैशाली नगर में उपचुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस ने भजन सिंह निरंकारी को तो भाजपा ने जागेश्वर साहू को प्रत्याशी बनाया। भजन सिंह निरंकारी चुनाव जीत गए। 2013 व 2018 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। स्व.विद्यारतन भसीन लगातार यहां से दो बार विधायक रहे।
यानि 2008 से लेकर 2018 तक यहां चार चुनाव हो चुके हैं। चार में से तीन बार भाजपा तथा एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। तब से मान लिया गया कि वैशाली नगर भाजपा का गढ़ है। विधानसभा व लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को वोट पड़ता है कि उससे यह मान भी लिया गया कि वैशाली नगर अब भाजपा का अभेद्य किला बन चुका है। वजह इसलिए कि 2018 में कांग्रेस की प्रचंड लहर में जब पूरे जिले से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था तब भी भाजपा ने अपनी यह सीट बचा ली थी।
कांग्रेस ने भाजपा के इस किलो के ढाहने रचा चक्रव्यूह
वैशाली नगर से कांग्रेस के तकरीबन 80 से 90 दावेदार है। कोई 70 प्रतिशत दीगर प्रांत का हवाला देकर टिकट मांग रहा है, कोई स्थानीय होने की बात कह रहा है, कोई महिला प्रत्याशी की मांग कर रहा है। इस बीच भाजपा के इस गढ़ को ढाहने के लिए कांग्रेस ने गजब का राजनीतिक पासा फेंका है। दरअसल शहर के लोग तब चौके थे, जब एचटीसी के संचालक इंद्रजीत सिंह छोटू ने वैशाली नगर से टिकट के लिए आवेदन दिया था। तब यह चर्चा शुरू हो गई थी कि शायद इशारा सीएम बंगले से मिला हो। इस बीच इंद्रजीत सिंह छोटू की राजनीतिक सक्रियता ने कांग्रेस के दूसरे दावेदार यहां तक की भाजपा में भी हलचल मचा दी है। दरअसल इंद्रजीत सिंह छोटू की छवि सभी वर्गो में समान है। युवा वर्ग उन्हें पसंद करता है। सिख समाज से आने वाले छोटू की पैठ सभी समाज में है। कहा जा रहा है कि इसलिए इंद्रजीत सिंह छोटू पर कांग्रेस बड़ा दांव खेल सकती है। संभवत: इसके संकेत भी मिलने लगे हैं। जिस तरह से विभिन्न आयोजनों में इंद्रजीत सिंह छोटू की सक्रियता बढ़ी है, उसने वैशाली नगर में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।