भिलाई । एक दरिंदे ने एकतरफा प्यार में कुल्हाड़ी मारकर बेटी की हत्या कर दी। वह सिर्फ शरीर की हत्या नहीं थी, माता पिता के सपनों की हत्या थी। माता पिता के उम्मीदों की हत्या थी। पिता टूट गए, पर मां नहीं टूटी। उसने खामोश आंसुओं के साथ एक संकल्प लिया। जो उनकी बेटी के साथ हुआ वह अब किसी और की बेटी के साथ न हो। इसलिए उन्होंने दूसरों की बेटियों को स्वयं के व्यय से आत्मरक्षा का गुर सिखाना शुरू किया। चार साल में तकरीबन 80 बच्चियों को ट्रेनिंग दिला चुकी हैं। अपनी बेटी की याद में श्रृंखला फाउंडेशन बनाया। संस्था के माध्यम से गरीब बेटियों की शिक्षा के लिए हर संभव मदद करती हैं।
यह कहानी ममता यादव की है। भिलाई के मैत्री कुंज निवासी ममता यादव ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। पति अवधेश यादव भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी है। दो बच्चों में बेटी श्रृंखला यादव (17 साल) बड़ी थी। श्रृंखला शंकरा विद्यालय सेक्टर-10 में ग्यारवीं की छात्रा थी। घटना 12 जून 2019 की है। दोपहर तीन बजे श्रृंखला अपनी स्कूटी से ट्यूशन जाने के लिए निकली। सूनसान रास्ते में उसे एक सिरफिरा मिला। उसने कुल्हाड़ी से श्रृंखला के सिर पर वार कर दिया। घसीटकर झाड़ियों मे ले जाकर फेंक दिया। माता पिता को घंटे भर बाद खबर हुई। श्रृंखला को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर रायपुर ले जाया गया। 15 जून को श्रृंखला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। घटना से पूरे भिलाई में आक्रोश फैल गया। आरोपित की शीघ्र गिरफ्तारी और सजा देने के लिए आंदोलन शुरू हो गया। आरोपित गिरफ्तार भी हुआ, पर बता दिया गया कि घटना के दिन वह नाबालिग था। इसका फायदा मिला और वह सजा से फिलहाल बच गया। हालांकि अभी मामले का दुर्ग कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
बेटी की याद में शुरू किया श्रृंखला फाउंडेशन
पिता अवधेश यादव टूट गए। मां ममता यादव नहीं टूटी। उसने संकल्प लिया। आरोपित को सजा दिलाकर ही रहेंगी। वह चार साल से हर दिन कोर्ट व वकीलों के चक्कर काट रही है। उसने सकंल्प लिया कि जो उनकी बेटी के साथ हुआ वह किसी और बेटी के साथ ना हो। उन्होंने कालोनी की बेटियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देना शुरू किया। अपने खर्चे पर कुंगफू कराटे का कोच बुलवाया। हर साल 20 से 25 बच्चियों को ट्रेनिंग दिलवाती हैं। श्रृंखला फाउंडेशन के माध्यम से गरीब बच्चियों की खेल व पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए आर्थिक मदद करती है। मैत्री कुंज में जिस स्थान पर स्कूल बस रुकती है वहां बच्चों को धूप व बारिश से बचने की व्यवस्था नहीं थी। दो लाख रुपये स्वयं का खर्च कर उन्होंने श्रृखंला बस स्टैंड बनवाया। श्रृंखला चौक का निर्माण कराया।
बेटी की याद में हर साल पौधरोपण
ममता यादव एक तरफ न्याय के लिए लड़ रही है, तो दूसरी तरफ बेटी की याद में स्वयं को समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया। कोरोना काल में बहुत से परिवारों की आर्थिक मदद की। राशन बांटा। बाकी समय में भी वह लोगों को मदद करती हैं। सबसे अहम वह बेटी की याद में हर साल अलग अलग जगहों पर 17 पौधे लगाती हैं। उनकी देखभाल करती हैं। उन्हें बढ़ा करती है।
-श्रृंखला हमारी सहेली थी। उसके साथ जो हुआ वह आज भी हम लोगों को डराता है। पर श्रृंखला की मम्मी ने हम लोगों को अच्छे से ट्रेनिंग दिलाई है। अब हम बदमाशों से डरने वाले नहीं है।
ऐश्वर्या सिंह, मैत्री कुंज रिसाली
-आत्मरक्षा की ट्रेनिंग का बहुत फायदा हुआ। हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। हम जितनी लड़कियों ने आत्मरक्षा की ट्रेनिंग ली है, अब उनमें से कोई भी डरने वाली नहीं है।
प्राची पाण्डेय, मैत्री कुंज रिसाली
जब तक न्याय नहीं मिलेगा लड़ती रहूंगी। मेरी बेटी की साथ जो हुआ वह अब किसी और बेटी के साथ ना हो इसलिए मैं बेटियों को मजबूत बना रही हूं। श्रृंखला मेरी सांसों में बसती है इसलिए उसके नाम से मैं जरूरतमंदों की मदद करती हूं, ताकि कोई बेटी आगे बढ़ने से वंचित न रह जाए।
ममता यादव, श्रृंखला यादव की मां