दुर्ग। दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा दुर्ग में 30 दिवसीय आवासीय सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण का प्रथम चरण 2 जून 2022 को संपन्न हुआ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एन.पी.दक्षिणकर, कुलसचिव डॉ.आर.के. सोनवाने, निदेशक विस्तार डॉ.आर.पी. तिवारी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ.व्ही.एन.खुणे, डॉ.अमित कुमार गुप्ता, डॉ.यू.एस.तिवारी एवं राजनांदगांव जिले के 28 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एन.पी.दक्षिणकर ने संबोधित करते हुए कहा कि सभी प्रशिक्षणार्थी प्रायोगिक एवं सैद्वांतिक कार्य जैसे- वीर्य परीक्षण, वीर्य की गतिशीलता का परीक्षण, पशुओं में दुग्ध उत्पादन क्षमता, उनमें होने वाली बीमारियों के उपचार आदि तकनीकी ज्ञान बढ़ाने पर जोर दें एवं यह प्रशिक्षण स्वरोजगार का एक अच्छा माध्यम बन सकता है। तथा उनके परिवार के पालन पोषण में सहायक सिद्ध होगा।
डॉ.आर.पी. तिवारी ने बताया कि भारत सरकार की गोश्त गोकुल मिशन योजना अंतर्गत चयनित सुदूर अंचल से 28 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया उन्होंने बताया कि आज भी 70% पशुधन में कृत्रिम गर्भाधान नहीं हो पा रहा है। उत्कृष्ट श्रेणी के बछिया एवं नस्ल सुधार हेतु कृत्रिम गर्भाधान आवश्यक है, साथ ही देसी सांडों का बधियाकरण भी आवश्यक है।
कुलसचिव डॉ.आर.के.सोनवाने ने इस प्रशिक्षण अवसर पर बताया कि ग्रामीण विकास में पशुधन की भूमिका महत्वपूर्ण है। अंत में प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा एक माह के दौरान अर्जित प्रशिक्षण ज्ञान का अनुभव साझा किया गया एवं द्वितीय चरण के अंतर्गत सात दिवसीय मैदानी प्रायोगिक प्रशिक्षण हेतु संबंधित जिले के उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं को मुक्त किया गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी का सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार डॉ. अमित गुप्ता के द्वारा किया गया।
दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण का समापन…नस्ल सुधार हेतु कृत्रिम गर्भाधान आवश्यक है, साथ ही देसी सांडों का बधियाकरण भी आवश्यक